Sunday, September 15, 2013

अंग्रेजों के लगाये 23 तरह के टैक्स कानून लगाकर इस देश के नागरिकों को जमकर लूटा, लहभग 190 वर्षों तक...

औरंगजेब ने जजिया कर लगाया था जो साल मे
एक हि बार देना पड़ता था, आमदनी पर उसने
भी कोई कर नही लगाया था | लेकिन अंग्रेजों ने
भारत की लोगोंकी आमदनी पर कर
लगाया वो भी 97%, माने 100 रूपए अगर
किसी की आमदनी हो तो 97 रूपए
अंग्रेजों को देना पड़ता था सिर्फ 3 रूपए उसके
पास बचता था | ऐसा व्यवस्था अंग्रेजों ने
बनाया था जिससे सारा पैसा भारतीय से लूट
लेना ताकि भारतीय के हात मे कुछ न बचे,
ताकि वे क्रांतिकारियों को दान न दे सके, इसके
लिए इनकम टैक्स का कानून इस देश मे
आया था |
बड़ी दुःख बात यह है के अंग्रेजों ने जो लूट
का कानून बनाया था वो आज़ादी के 65 साल बाद
भी चल रहा है, Indian Income Tax के
नाम से हि चल रहा है, और आज
भी भारतवासियों से धन लूटा जा रहा है | बस
अंतर इतना है पहले गोर अंग्रेजों ने लूटा था और
उस धन को लन्दन मे जमा किया था, अब काले
अंग्रेज उस कानून के आधार पर धन लूट रहे है और
सुईजरलैंड मे ले जाकर उस धन को जमा कर रहें है;
व्यवस्था वोही के वोही चल रही है कानून वोही के
वोही चल रही है |
अंग्रेजों ने Central Excise Act बनाया –
कोई भी भारतवासी किसी वस्तु का उत्पादन करे
तो उसपर 350% excise duty, अंग्रेजों ने
sales tax लगाया, अंग्रेजों ने road tax
लगाया, toll tax अगया, municipal
corporation tax लगाया और ऐसे 23 तरह
के टैक्स कानून लगाकर इस देश के
नागरिकों को जमकर लूटा, लहभग 190 वर्षों तक
|
अब अंग्रेजों ने यह सब कानून बनाये थे लूटने के
लिए, तो आज़ादी के बाद होना ये चाहिए था के ये
सारे कानून ख़तम किये जाये Income Tax
ख़तम किये जाये, Central Excise ख़तम
किये जाये, Road Tax ख़तम किये जाये, Toll
Tax ख़तम किये जाये, Municipal
Corporation Tax ख़तम किये जाये माने,
अंग्रेजों के लगाये हुए 23 तरह के सारे टैक्स
ख़तम किया जाये | लेकिन हमारे काले अंग्रेजों ने
इसका उल्टा किया, अंग्रेजों के जाने के 65 साल
के बाद काले अंग्रेजों ने इस देश पर अब 64 तरह
के टैक्स लगा रखे है, और देश को लूट रहे है,
अंग्रेजों ने भी जितना नही लूटा होगा उससे कई
गुना जादा काले अंग्रेज, भ्रष्टाचारी नेता, और
भ्रष्टाचारी अधिकारी इस देश को लूट रहें है और
इसी लूट के damदम पर 100 लाख करोड़ रूपए
से जादा इन्होने विदेशी बैंकों मे जमा करके
रखा हुआ है |
साभार: फेस बुक, राजीव दीक्षित जी, कुनाल
आर्य व दिनेश राठोर जी



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