Thursday, September 12, 2013

मैं सामप्रदायिक कहलाता हूँ !!!

मैं साम्प्रदायिक कहलाता हूँ
सृष्टि की रचना संग,
अपने आस्तित्व को देखता हूँ
इंद्रधनुष के सतरंगी रँगो में,
अपने धर्म को देखता हूँ,
खुद को अगर हिंदू कहुँ तो,
मैं सामप्रदायिक कहलाता हूँ
मैंने मोहम्मद की टोपी ना छीनी,
ना ही कोई घात् किया
तिलक लगा के मैं निकलुँ तो,
मैं सामप्रदायिक कहलाता हूँ
तलवारों की धार से,
रक्त रंजित नहीं किया भूमि को,
अरब राष्ट्र में जा कर मैंने,
ना तोड़ा किसी मस्जिद को,
अपनी मातृभूमि पे ही
श्री राम का नाम लें लूँ तो,
मैं सामप्रदायिक कहलाता हूँ !!!
जय श्री राम
वंदे मातरम


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