मस्जिद में औरतों पर पाबन्दी क्यों ?
विश्व के जितने भी बड़े धर्म है , सभी में उनके उपासना ग्रहों में पुरुषों के साथ स्त्रियों प्रवेश करने की अनुमति दी गयी है . जसे मंदिरों में अक्सर हिन्दू पुरुष अपनी पत्नियों और माता बहिनों के साथ पूजा और दर्शन के लिए जाते है . गुरुद्वारों में भी पुरुष -स्त्री साथ ही अरदास करते है . और चर्च में भी ऐसा ही होता है ,लेकिन कभी किसी ने इस बात पर गौर किया है कि पुरषों के साथ औरतें दरगाहों में तो जा सकती हैं ,लेकिन मस्जिदों में उनके प्रवेश पर पाबन्दी क्यों है .जबकि इस्लाम पुरुष और स्त्री की समानता का दावा करता है 'इस प्रश्न का उत्तर हमें खुद कुरान और हदीसों से मिल जाता है .जिस पर संक्षिप्त में जानकारी दी जारही है .
1-मस्जिदें आतंकियों का अड्डा हैं -
यदि हम विश्व दुसरे देशों के साथ होने वाली इस्लामी जिहादी आतंकी घटनाओं का विश्लेषण करें तो हमें पता चलेगा की जैसे जैसे आतंकवादी अपनी नयी नयी रणनीति बदलते जाते है ,वैसे वैसे ही मस्जिदों की निर्माण शैली में भी परिवर्तन होता रहता है , यदि आप सौ दो साल पहिले की किसी मस्जिद को देखें पाएंगे कि उसमे चारों तरफ ऊंची दीवार , मीनारें , गुम्बद और बीच में पानी का एक हौज होगा , और एक तरफ मिम्बर होगा जिस पर से इमाम खुतबा देता है .
लेकिन आजकल जो मस्जिदें बन रही हैं , उनके साथ दुकानें , रहने के लिए सर्व सुविधा युक्त कमरे और तहखानों के साथ भूमिगत सुरंगे भी बनायीं जाती है . जिस से गुप्त रूप से निकल भागने से आसानी हो .ऐसी ही मस्जिदों के तहखानों में हथियार छुपाये जाते हैं , जो दंगों के समय निकालकर प्रयोग किये जाते है . यही नहीं इन्हीं गुप्त सुरंगोंसे आतंकी आसानी से भाग जाते हैं .जबलपुर दंगों में ऐसी मस्जिदों से हथियार बरामद हुए थे. चूँकि मुसलमान जो भी आतंकी कार्यवाही करते हैं उसकी प्रेरणा कुरान से लेते हैं .और उसी की प्रेरणा से मस्जिदों में हथियार भी छुपाते रहते हैं , जैसे कुरान में कहा है ,
"और लोगों ने मस्जिदें इसलिए बना रखी हैं , कि वहां से लोगों को हानि पहुंचाएं ,और आपस में फूट डालें .और अपने विरोधियों पर घात लगाने की योजनायें बनाने का स्थल बनायें " सूरा - तौबा 9 :107
2-औरतें घर में नमाज क्यों पढ़ें -
इसके सिर्फ दो ही कारण हो सकते हैं , एक तो यह की मुहम्मद एक चालाक व्यक्ति था , उसे पता था कि मस्जिदें फसाद जी जड़ होती हैं . और दंगों में अक्सर औरतें ही निशाना बनायीं जाती है . और बलात्कार करना जिहाद का एक प्रमुख हथियार है . मुहम्मद को दर था कि यदि औरतें मस्जिद जाएँगी तो वापसी में खुद मुस्लमान ही उनके साथ बलात्कार कर सकते है , इस लिए उसने यह हदीस सुना दी थी .
"अब्दल्लाह बिन मसूद ने कहा कि रसूल का आदेश है ,औरतों के यही उचित है कि वह यातो अपने घर के आँगन में नमाज पढ़ें , या घर के इसी एकांत कमरे में नमाज पढ़ा करें " सुन्नन अबू दाउद-जिल्द 1 किताब 204 हदीस 570
3-औरतों की बुद्धि अधूरी होती है -
दूसरा कारण यह है कि मुहम्मद की सभी औरतें मुर्ख और अनपढ़ थीं , उसी कि नक़ल करके मुसलमान औरतों को शिक्षा देने के घोर विरोधी है , उनको डर लगा रहता है कि अगर औरतें पढ़ जाएँगी तो इस्लाम कि पोल खुल जाएगी .अक्सर जब औरतें पकड़ी जाती है तो वह जल्दी से राज उगल देती है .इसलिए अक्सर मुसलमान गैर मुस्लिम लड़की को फसाते है
" सईदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने कहा है औरतों दर्जा पुरुषों से आधा होता है ,क्योंकि उनकी बुद्धि पुरुषों से आधी होती है "बुखारी -जिल्द 3 किताब 48 हदीस 826
4-औरतें चुगलखोर होती हैं -
दुनिया के सारे मुसलमान किसी न किसी अपराध में संलग्न रहते हैं . और मस्जिदों के इमाम बुखारी जैसे मुल्ले उनको उकसाते रहते हैं . सब जानते है कि अक्सर औरतें अपने दिल कि बातों को देर तक नहीं छुपा सकती है ,जिस से मुसलमानों को पकडे जाने का खतरा बना रहता है .इसलिए वह औरतों को मस्जिदों में नहीं जाने देते हैं
"सईदुल खुदरी ने कहा कि एक बार जब रसूल नमाज पढ़ चुके और मुसल्ला उठा कर एक खुतबा ( व्याख्यान ) सुनाया और कहा मैंने आज तक औरतों से अधिक बुद्धि में कमजोर किसी को नहीं देखा . क्योंकि उनके पेटों में कोई बात नहीं पचती है .यानि वह गुप्त बातें उगल देती हैं "बुखारी -जिल्द 2 किताब 24 हदीस 54
इसी विषय में जकारिया नायक ने बड़ी मक्कारी से कहा है कि केवल भारत में औरतों को मस्जिद में जाने पर पाबन्दी है . और दुसरे इस्लामी देशों में ऐसा नहीं है . लेकिन वास्तविकता तो यह्हाई कि जहाँ मुस्लिम औरतें जिहाद करती हैं उन देशों में औरतें मस्जिद में जा सकती है , और जब भारत में भी मुस्लिम आतंकी औरतों की संख्या अधिक हो जाएगी , यहाँ भी औरतें मस्जिदों में जाने लगेंगी . क्योंकि फिर छुपाने की कोई बात नहीं रहेगी . देखिये विडियो :
Why ain't Women allowed in Mosques in India? Dr Zakir Naik
http://www.youtube.com/ watch?v=XyyJ7iYh3fw
कुछ दिन पूर्व हमारे प्रबुद्ध मित्र ने पूछा था कि औरतों को मस्जिदों में प्रवेश करने पर पाबन्दी क्यों है . इसलिए जल्दी में कुरान और हदीस के आधार पर उनके प्रश्न का उत्तर दिया जा रहा है . मुझे पूरा विश्वास है कि इस लेख को पढ़कर सभी लोग स्वीकार करेंगे कि मस्जिदें ही आतंकवादियों की शरणस्थल हैं. और वहीं से जिहाद की शिक्षा दी जाती है
विश्व के जितने भी बड़े धर्म है , सभी में उनके उपासना ग्रहों में पुरुषों के साथ स्त्रियों प्रवेश करने की अनुमति दी गयी है . जसे मंदिरों में अक्सर हिन्दू पुरुष अपनी पत्नियों और माता बहिनों के साथ पूजा और दर्शन के लिए जाते है . गुरुद्वारों में भी पुरुष -स्त्री साथ ही अरदास करते है . और चर्च में भी ऐसा ही होता है ,लेकिन कभी किसी ने इस बात पर गौर किया है कि पुरषों के साथ औरतें दरगाहों में तो जा सकती हैं ,लेकिन मस्जिदों में उनके प्रवेश पर पाबन्दी क्यों है .जबकि इस्लाम पुरुष और स्त्री की समानता का दावा करता है 'इस प्रश्न का उत्तर हमें खुद कुरान और हदीसों से मिल जाता है .जिस पर संक्षिप्त में जानकारी दी जारही है .
1-मस्जिदें आतंकियों का अड्डा हैं -
यदि हम विश्व दुसरे देशों के साथ होने वाली इस्लामी जिहादी आतंकी घटनाओं का विश्लेषण करें तो हमें पता चलेगा की जैसे जैसे आतंकवादी अपनी नयी नयी रणनीति बदलते जाते है ,वैसे वैसे ही मस्जिदों की निर्माण शैली में भी परिवर्तन होता रहता है , यदि आप सौ दो साल पहिले की किसी मस्जिद को देखें पाएंगे कि उसमे चारों तरफ ऊंची दीवार , मीनारें , गुम्बद और बीच में पानी का एक हौज होगा , और एक तरफ मिम्बर होगा जिस पर से इमाम खुतबा देता है .
लेकिन आजकल जो मस्जिदें बन रही हैं , उनके साथ दुकानें , रहने के लिए सर्व सुविधा युक्त कमरे और तहखानों के साथ भूमिगत सुरंगे भी बनायीं जाती है . जिस से गुप्त रूप से निकल भागने से आसानी हो .ऐसी ही मस्जिदों के तहखानों में हथियार छुपाये जाते हैं , जो दंगों के समय निकालकर प्रयोग किये जाते है . यही नहीं इन्हीं गुप्त सुरंगोंसे आतंकी आसानी से भाग जाते हैं .जबलपुर दंगों में ऐसी मस्जिदों से हथियार बरामद हुए थे. चूँकि मुसलमान जो भी आतंकी कार्यवाही करते हैं उसकी प्रेरणा कुरान से लेते हैं .और उसी की प्रेरणा से मस्जिदों में हथियार भी छुपाते रहते हैं , जैसे कुरान में कहा है ,
"और लोगों ने मस्जिदें इसलिए बना रखी हैं , कि वहां से लोगों को हानि पहुंचाएं ,और आपस में फूट डालें .और अपने विरोधियों पर घात लगाने की योजनायें बनाने का स्थल बनायें " सूरा - तौबा 9 :107
2-औरतें घर में नमाज क्यों पढ़ें -
इसके सिर्फ दो ही कारण हो सकते हैं , एक तो यह की मुहम्मद एक चालाक व्यक्ति था , उसे पता था कि मस्जिदें फसाद जी जड़ होती हैं . और दंगों में अक्सर औरतें ही निशाना बनायीं जाती है . और बलात्कार करना जिहाद का एक प्रमुख हथियार है . मुहम्मद को दर था कि यदि औरतें मस्जिद जाएँगी तो वापसी में खुद मुस्लमान ही उनके साथ बलात्कार कर सकते है , इस लिए उसने यह हदीस सुना दी थी .
"अब्दल्लाह बिन मसूद ने कहा कि रसूल का आदेश है ,औरतों के यही उचित है कि वह यातो अपने घर के आँगन में नमाज पढ़ें , या घर के इसी एकांत कमरे में नमाज पढ़ा करें " सुन्नन अबू दाउद-जिल्द 1 किताब 204 हदीस 570
3-औरतों की बुद्धि अधूरी होती है -
दूसरा कारण यह है कि मुहम्मद की सभी औरतें मुर्ख और अनपढ़ थीं , उसी कि नक़ल करके मुसलमान औरतों को शिक्षा देने के घोर विरोधी है , उनको डर लगा रहता है कि अगर औरतें पढ़ जाएँगी तो इस्लाम कि पोल खुल जाएगी .अक्सर जब औरतें पकड़ी जाती है तो वह जल्दी से राज उगल देती है .इसलिए अक्सर मुसलमान गैर मुस्लिम लड़की को फसाते है
" सईदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने कहा है औरतों दर्जा पुरुषों से आधा होता है ,क्योंकि उनकी बुद्धि पुरुषों से आधी होती है "बुखारी -जिल्द 3 किताब 48 हदीस 826
4-औरतें चुगलखोर होती हैं -
दुनिया के सारे मुसलमान किसी न किसी अपराध में संलग्न रहते हैं . और मस्जिदों के इमाम बुखारी जैसे मुल्ले उनको उकसाते रहते हैं . सब जानते है कि अक्सर औरतें अपने दिल कि बातों को देर तक नहीं छुपा सकती है ,जिस से मुसलमानों को पकडे जाने का खतरा बना रहता है .इसलिए वह औरतों को मस्जिदों में नहीं जाने देते हैं
"सईदुल खुदरी ने कहा कि एक बार जब रसूल नमाज पढ़ चुके और मुसल्ला उठा कर एक खुतबा ( व्याख्यान ) सुनाया और कहा मैंने आज तक औरतों से अधिक बुद्धि में कमजोर किसी को नहीं देखा . क्योंकि उनके पेटों में कोई बात नहीं पचती है .यानि वह गुप्त बातें उगल देती हैं "बुखारी -जिल्द 2 किताब 24 हदीस 54
इसी विषय में जकारिया नायक ने बड़ी मक्कारी से कहा है कि केवल भारत में औरतों को मस्जिद में जाने पर पाबन्दी है . और दुसरे इस्लामी देशों में ऐसा नहीं है . लेकिन वास्तविकता तो यह्हाई कि जहाँ मुस्लिम औरतें जिहाद करती हैं उन देशों में औरतें मस्जिद में जा सकती है , और जब भारत में भी मुस्लिम आतंकी औरतों की संख्या अधिक हो जाएगी , यहाँ भी औरतें मस्जिदों में जाने लगेंगी . क्योंकि फिर छुपाने की कोई बात नहीं रहेगी . देखिये विडियो :
Why ain't Women allowed in Mosques in India? Dr Zakir Naik
http://www.youtube.com/
कुछ दिन पूर्व हमारे प्रबुद्ध मित्र ने पूछा था कि औरतों को मस्जिदों में प्रवेश करने पर पाबन्दी क्यों है . इसलिए जल्दी में कुरान और हदीस के आधार पर उनके प्रश्न का उत्तर दिया जा रहा है . मुझे पूरा विश्वास है कि इस लेख को पढ़कर सभी लोग स्वीकार करेंगे कि मस्जिदें ही आतंकवादियों की शरणस्थल हैं. और वहीं से जिहाद की शिक्षा दी जाती है
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