जाकिर नाईक.. मुल्ले और तथाकथित हरामी सेकुलरों का गठजोड़ अक्सर ये “अफवाह” फैलाते रहते हैं कि…. हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों में काल्पनिक बातें लिखी हुई है….. और उस समय हम में से काफी हिन्दुओं को अपने धर्मग्रंथो की समुचित ज्ञान के अभाव में चुप लगाना पड़ जाता है..!
तो… मैं उस मुल्लों और सेकुलरों के गठजोड़ को एक लाइन में बता दूँ कि….. हिन्दू धर्म.. सनातन धर्म के ही दूसरा नाम है….. और ये किसी मुहम्मद-फुहम्मद जैसे जाहिल और लुटेरे द्वारा प्रतिपादित नहीं है…!
हिन्दू धर्म ग्रंथों में लिखे एक-एक लाइन का वैज्ञानिक आधार है…. बशर्ते उसे समझने की अक्ल होनी चाहिए…..!
अब चूँकि मुस्लिमों और सेकुलरों के पास दिमाग होता ही नहीं है … इसीलिए उन्हें हर बात काल्पनिक ही लगती है….. अथवा हो सकता है कि मुस्लिमों को ये भी लगता हो कि….. धरती पर हर लोग मुहम्मद से जाहिल ही भरे पड़े हैं…!
पुराणोँ को ध्यान से पढ़ने के पश्चात मालूम चलता है कि इसमेँ अधिकांश बातें वैज्ञानिक और प्राकृतिक है .. जिसे कहीं मानवीकरण के द्वारा तो कहीं रूप-अलंकार के द्वारा बताया गया है।
उदाहरण के तौर पर… भगवान विष्णु के सभी अवतारों को हम आधुनिक क्रमिक विकास से संबंधित कर सकते हैं …! विष्णु अवतार के ये विभिन्न अवतार हमें धरती पर प्रभुत्व वाले जीवोँ की जानकारी देते हैं ….. जो धरती पर विभिन्न कालों में राज किया करते थे ।
१. प्रथम अवतार ……”मत्स्य”……..एकजीव है कि केवल पानी में रहते हैं। वैष्णव के अनुसार धरती पर जीव की उत्पत्ति समुद्र के झाग यामिनरल से हुई थी ।
२. दूसरा अवतार……. “कुर्मा”…… एक जीव है … जो पानी और भूमि ( उभयचर )दोनों जगहों में रह सकता है । इसी प्रकार के जीवोँ से धरती पर अन्य जीवोँ की भी उत्पत्ति मानी जाती है ।
३. तीसरा अवतार… “वाराह”….जीव है..जो केवल जमीन पर रहते हैं ( स्विमिंग करने की क्षमता के साथ ) वाराह का मतलब कुछ लोग सूकर अवतारसमझ लेते हैँ…! जबकि ऐसा नहीं है…..!
वाराह का मतलब कोई भी सामान जो जल्दी फैल जाता हो या फैलने के गुण रखने वाला जानवर या सामान…..! वाराह शब्द का ही प्रयोग ब्रह्माण्ड और ब्राह्मण में होताहै । यहाँ वाराह….. “डायनासोर” जैसे जीव को कहा गया है ।
४. चौथा अवतार……. नरसिम्हा…… आधा शेर और आधे मानव…… एक अवस्थाहोमो शेपियनंस और जानवरों के बीच की है .. जिसे आप आदिमानव भी कह सकते हो…!
५. पांचवें अवतार……. “वामन”……. छोटे कद के साथ….. होमो सेपियंश .
६. छठा अवतार……. परशुराम…… किसी न किसी रूप में कठिन मानव (कुल्हाड़ी के साथ राम ) ….. आप इन्हें शिकारी मानव भी कह सकते हो…!
७. सातवां अवतार …… श्री राम…….. सही सभ्य मानव ( एक धनुष और महान प्रथाओं के साथ राम )
८. आठवां अवतार…… बलराम…… व्यावसायिक कौशल के साथ मानव ( हल के साथ बलराम ,कृषि और व्यवसाय को दर्शाते हैं )
आठवां अवतार दक्षिण भारत के विष्णु अवतार मेँ बलराम को कहा जाता है जो कृषक या व्यापारी वर्गके रक्षक और उनके देवता माने जाते हैँ ।
जबकि उत्तर भारत के विष्णु अवतार मेँ आठवां अवतार बुध का आता है…. ये भी बलराम की तरह व्यापारी वर्गके देवता हैँ और व्यापारियोँ के रक्षक। इनके नाम से एक ग्रह का नाम भी बुध है ।
लेकिन…. कुछ लोग विष्णु के आठवें अवतार को “गौतम बुद्ध” का नाम बताते हैँ या समझ जाते है …. जो किसही प्रतीत नहीं होता है क्योंकि… धरती पर शिकार युग के समाप्ति के पश्चात् व्यापार की ही महत्ता बढ़ी है…… और, इसी व्यापार ने हमारे भारत को सोने की चिड़िया बनाया …! जैसे प्रखर अलौकिक बुद्धिमता बाले का ।
९ . नौवां अवतार …. भगवान श्रीकृष्ण….. अलौकिक बुद्धिमता (मूल अभिव्यक्ति) वाले …. ये धरती के प्रखर बुद्धिमता और राज-सत्ता एवं सामाजिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं..!
१०. दसवा अवतार…… कल्कि….. apocalyptic ( जो इस महायुग का अंत होगा ! )
@@@ मुस्लिमों और मनहूस सेकुलरो…. अब क्या जबाब है तुम्हारे पास…..????? अगर जबाब नहीं सूझ रहा हो तो … अपने बाप जाकिर नाईक को भी बुला लो….. तुम्हारे सभी प्रोपोगंडाओं की धज्जियाँ ना उड़ा दी तो…. हम भी महाकाल के भक्त नहीं…
तो… मैं उस मुल्लों और सेकुलरों के गठजोड़ को एक लाइन में बता दूँ कि….. हिन्दू धर्म.. सनातन धर्म के ही दूसरा नाम है….. और ये किसी मुहम्मद-फुहम्मद जैसे जाहिल और लुटेरे द्वारा प्रतिपादित नहीं है…!
हिन्दू धर्म ग्रंथों में लिखे एक-एक लाइन का वैज्ञानिक आधार है…. बशर्ते उसे समझने की अक्ल होनी चाहिए…..!
अब चूँकि मुस्लिमों और सेकुलरों के पास दिमाग होता ही नहीं है … इसीलिए उन्हें हर बात काल्पनिक ही लगती है….. अथवा हो सकता है कि मुस्लिमों को ये भी लगता हो कि….. धरती पर हर लोग मुहम्मद से जाहिल ही भरे पड़े हैं…!
पुराणोँ को ध्यान से पढ़ने के पश्चात मालूम चलता है कि इसमेँ अधिकांश बातें वैज्ञानिक और प्राकृतिक है .. जिसे कहीं मानवीकरण के द्वारा तो कहीं रूप-अलंकार के द्वारा बताया गया है।
उदाहरण के तौर पर… भगवान विष्णु के सभी अवतारों को हम आधुनिक क्रमिक विकास से संबंधित कर सकते हैं …! विष्णु अवतार के ये विभिन्न अवतार हमें धरती पर प्रभुत्व वाले जीवोँ की जानकारी देते हैं ….. जो धरती पर विभिन्न कालों में राज किया करते थे ।
१. प्रथम अवतार ……”मत्स्य”……..एकजीव है कि केवल पानी में रहते हैं। वैष्णव के अनुसार धरती पर जीव की उत्पत्ति समुद्र के झाग यामिनरल से हुई थी ।
२. दूसरा अवतार……. “कुर्मा”…… एक जीव है … जो पानी और भूमि ( उभयचर )दोनों जगहों में रह सकता है । इसी प्रकार के जीवोँ से धरती पर अन्य जीवोँ की भी उत्पत्ति मानी जाती है ।
३. तीसरा अवतार… “वाराह”….जीव है..जो केवल जमीन पर रहते हैं ( स्विमिंग करने की क्षमता के साथ ) वाराह का मतलब कुछ लोग सूकर अवतारसमझ लेते हैँ…! जबकि ऐसा नहीं है…..!
वाराह का मतलब कोई भी सामान जो जल्दी फैल जाता हो या फैलने के गुण रखने वाला जानवर या सामान…..! वाराह शब्द का ही प्रयोग ब्रह्माण्ड और ब्राह्मण में होताहै । यहाँ वाराह….. “डायनासोर” जैसे जीव को कहा गया है ।
४. चौथा अवतार……. नरसिम्हा…… आधा शेर और आधे मानव…… एक अवस्थाहोमो शेपियनंस और जानवरों के बीच की है .. जिसे आप आदिमानव भी कह सकते हो…!
५. पांचवें अवतार……. “वामन”……. छोटे कद के साथ….. होमो सेपियंश .
६. छठा अवतार……. परशुराम…… किसी न किसी रूप में कठिन मानव (कुल्हाड़ी के साथ राम ) ….. आप इन्हें शिकारी मानव भी कह सकते हो…!
७. सातवां अवतार …… श्री राम…….. सही सभ्य मानव ( एक धनुष और महान प्रथाओं के साथ राम )
८. आठवां अवतार…… बलराम…… व्यावसायिक कौशल के साथ मानव ( हल के साथ बलराम ,कृषि और व्यवसाय को दर्शाते हैं )
आठवां अवतार दक्षिण भारत के विष्णु अवतार मेँ बलराम को कहा जाता है जो कृषक या व्यापारी वर्गके रक्षक और उनके देवता माने जाते हैँ ।
जबकि उत्तर भारत के विष्णु अवतार मेँ आठवां अवतार बुध का आता है…. ये भी बलराम की तरह व्यापारी वर्गके देवता हैँ और व्यापारियोँ के रक्षक। इनके नाम से एक ग्रह का नाम भी बुध है ।
लेकिन…. कुछ लोग विष्णु के आठवें अवतार को “गौतम बुद्ध” का नाम बताते हैँ या समझ जाते है …. जो किसही प्रतीत नहीं होता है क्योंकि… धरती पर शिकार युग के समाप्ति के पश्चात् व्यापार की ही महत्ता बढ़ी है…… और, इसी व्यापार ने हमारे भारत को सोने की चिड़िया बनाया …! जैसे प्रखर अलौकिक बुद्धिमता बाले का ।
९ . नौवां अवतार …. भगवान श्रीकृष्ण….. अलौकिक बुद्धिमता (मूल अभिव्यक्ति) वाले …. ये धरती के प्रखर बुद्धिमता और राज-सत्ता एवं सामाजिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं..!
१०. दसवा अवतार…… कल्कि….. apocalyptic ( जो इस महायुग का अंत होगा ! )
@@@ मुस्लिमों और मनहूस सेकुलरो…. अब क्या जबाब है तुम्हारे पास…..????? अगर जबाब नहीं सूझ रहा हो तो … अपने बाप जाकिर नाईक को भी बुला लो….. तुम्हारे सभी प्रोपोगंडाओं की धज्जियाँ ना उड़ा दी तो…. हम भी महाकाल के भक्त नहीं…
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