Sunday, September 15, 2013

क्या इल्लुमिनिटी प्रभुपाद के आध्यात्मिक मिशन को नष्ट करने की कोशिश कर रही है ?


क्या इल्लुमिनिटी प्रभुपाद के आध्यात्मिक मिशन को नष्ट करने की कोशिश कर रही है ?

विश्व प्रसिद्ध संत, भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद, सांस्कृतिक राजदूत, विद्वान, समाज सुधारक और इंटरनेशनल कृष्ण चेतना संस्था के संस्थापक, [इस्कॉन], ने सितंबर 1970 को लिखे एक पत्र में चेतावनी दी है:
"यह तथ्य है की एक महा भयावह आंदोलन (इल्ल्युमिनिटी) हमारे समाज के भीतर है ।"

अगर आपने ९/११ की कोइ डोक्युमेंटरी देखी है, तो आप को पता चल जाएगा कि इस दुनिया में महा भयावह आंदोलन इल्लुमिनिटी है । जिसका मूल लक्ष्य है भगवान के बिना एक नई विश्व व्यवस्था बनाना। दुनिया को आज मालुम हुआ है की चंद्रयात्रा फेक लेन्डिनग स्केम था । प्रभुपाद को १९६८ में ही पता चल गया था जब चंद्रयात्रा की तैयारी हो रही थी । उनके पास कोइ जासुस पत्रकार नही थे की उनको बताए, अपने धार्मिक दर्शन (his philosophy) से पता चल गया था । 26 दिसंबर 1968 को ए.एल.टाइम्स के पत्रकार द्वारा चंद्रयात्रा पर इन्टर्व्यु दिया । बता दिया की इल्लुमिनिटी कैसे सभी मुख्यधारा के मीडिया को नियंत्रण करती है ताकि लोगों को क्या क्या जानकारी सुनानी है वो ही सुनाते रहे, वही दिखाते रहे । नकली चाँद लैंडिंग घोटाले के माध्यम से जनता के टेक्स के अरबों डॉलर की बरबादी की बातें उजागर होने पर इल्ल्युमिनिटी वाले परेशान हो गये ।

इल्ल्युमिनिटी प्रभुपाद के बुनियादी सिध्धांत जान गई; मांस नही खाना, नही कोई नशा, कोई अवैध सेक्स नही, कोई जुआ नही, महिलाओं का पिछा नही, अगर जनता जागरूक हो कर उनका अनुकरण करती हैं तो अपनी आसुरी सभ्यता बनाने के सपने खतम होते थे ।

"हरे कृष्ण आंदोलन के तेजी से फैलने से पश्चिमी आसुरी सभ्यता की नींव हिल गई है, एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ ने कहा है, हरे कृष्ण आंदोलन एक महामारी की तरह फैल रहा है, हमे इसे रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए, वरना यह एक दिन सरकार पर कब्जा कर सकते हैं । यह हमारी सफलता के लिए एक अच्छा प्रमाण पत्र है, लेकिन अब समय आ गया है हम मजबूत विरोधी बने "[रामकृष्ण बजाज, VRINDABAN, 1 नवम्बर, 1976 को श्रील प्रभुपाद का पत्र]

इसलिए इल्ल्युमिनिटीने 1969-70 में हरे कृष्ण आंदोलन में अपने कुछ प्यादे लगाए और उन के माध्यम से अंत में संस्था का पूरा नियंत्रण स्थापित कर लिया ।

इल्ल्युमिनिटी के भायानक प्यादोंने 1977 में प्रभुपाद को एक कमरे में कैद कर दिया, अत्याचार और जहर दे कर मार दिया ।

“प्रभु यीशु मसीह को मार डाला गया था । तो ऐसा करने का प्रयास हो सकता है, वे मुझे भी मार सकते है. "[श्रील प्रभुपाद एक कक्ष वार्तालाप 3 मई 1976, होनोलूलू से]

" मेरा यह अनुरोध है की अंतिम चरण में मुझे यातना नहीं देना, मौत ही देना ।" [नवम्बर 3 एक कक्ष वार्तालाप से श्रील प्रभुपाद, 1977, वृन्दावन, भारत]

"किसी ने कहा मुझे जहर दिया गया है, यह संभव है । "[श्रील प्रभुपाद एक कक्ष वार्तालाप 9 नवंबर 1977, वृन्दावन, भारत से]

"मुझे बंद कमरे में न रखें ...... सभी गंभीरता से विचार करो और मुझे जाने दो । किसी ने मुझे जहर दिया है ।" [श्रील प्रभुपाद एक कक्ष बातचीत 10 नवंबर 1977, वृन्दावन, भारत से]

"आप दुनिया के इतिहास में पता लगाओ, आप देखोगे, कृष्ण या भगवान के लिए जो काम कर रहे हैं उन व्यक्तियों को हमेशा सताया गया है ।" [श्रीमद भागवत व्याख्यान 7.9.8 सिएटल, 21 अक्तूबर, 1968 ]

श्रील प्रभुपाद के भौतिक प्रस्थान (निधन) के बाद इन इल्ल्युमिनिटी के प्यादों ने, प्रभुपाद के यहूदी चेलों के साथ मिलकर, तुरंत इस्कॉन पर पूरा नियंत्रण कर लिया, कृष्ण के आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेम के प्रसार के लिए जो धन और संसाधन थे उस पर कबजा कर लिया ।

खुद को श्रील प्रभुपाद के झूठे उत्तराधिकारी की घोषणा करते हुए वे उनके अनुयायियों के बच्चों की छेड़छाड़ सहित अनगिनत नृशंस कृत्यों का प्रदर्शन करने लगे । उनके खिलाफ कोइ खड़ा होता था तो उसे मजबूर कर के बाहर किया जाता था, कुछ हत्या भी कर दी गई ।

श्रील प्रभुपाद द्वारा स्थापित स्कूले मूल रूप से बच्चों को भगवान के पवित्र प्रेम के संदेश को पढ़ाने के लिए बनी थी । उन स्कूलों में इस्कोन का मुखौटे पहने राक्षसोंने बाल उत्पीड़न के मामले इतने बढा दिये जीस के फल-स्वरूप आज पिडितों द्वारा जो केस किये गये हैं, $ 400000000 के दंड के बाद भी उनका प्रायच्चित पूरा नही होगा । अदालत के मामले में इस्तेमाल किये गये सबूतों को ऐसे बनाये गये की दोष खूद प्रभुपाद पर लगे । ज्यादा धन की लालचमें अपराधी और पिड्तों के, दोनों साईड के वकिल और न्यायतंत्र मिलकर मामलों को विकृत स्वरूप देते रहे हैं ।

प्रभुपाद को जहर देने के बाद, इन इल्ल्युमिनिटी प्यादों ने तुरंत ही व्यवस्थित रीत से उन के आध्यात्मिक संदेश के शुद्ध लेखन बदलकर उस में जहर भरना शुरू कर दिया । हाल ही में अपने मुख्य एजेंटों में से एक, दुनिया के मीडिया की मदद से, प्रभुपाद के लिए दुष्प्रचार किया की वो एक बच्चों का दुरुपयोग करने वाले पंथ के नेता थे , जब की ये इल्ल्युमिनिटी की शैतानी दुनिया ही सबसे संगठित पंथ हैं जो बच्चों को नशेड़ी, उनका यौन शोषण, एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कर रही है ।

[search the internet for SATANISM & THE CIA: International Trafficking in Children by Ted Gunderson, the 27-year FBI veteran, former Los Angeles Senior Special Agent]

उन्होंने कृष्ण चेतना के लिए इंटरनेशनल सोसायटी बाल उत्पीड़न पंथ के साथ खड़ा कर दिया है और प्रभुपाद को दोषी ठहराने की कोशिश कर रहे हैं ।

इस प्रकार हम इल्ल्युमिनिटी के तीन पॅटर्न देख सकते हैं, कृष्ण चेतना आंदोलन को नष्ट करना, प्रभुपाद के मूल दिव्य लेखन का नाश और उनके नाम का उपयोग कर के शैतानीं लेखकों का ज्ञान वाली पुस्तकें खपा कर दुनिया पर प्रभुत्व पाने के उनके एजेंडे की रक्षा के लिए धर्म में शैतानी संदेश शामिल करना और उसका का प्रचार करना । अभी प्रभुपाद के नाम से ही जानबूझकर प्रभुपाद की मूल पुस्तक है ऐसे जूठे प्रचार से भारी मात्रा में [55 लाख से ऊपर] किताबें वितरित कि गई है । बेचने के लिए प्रदर्शन भी किये गये है ।

शुद्ध भक्त को बदनाम करने के उनके इन प्रयास से वे इन मौलिक लेखन और उसकी शुद्ध आंदोलन की दिशा में एक जन उदासीनता और घृणा पैदा करने की उम्मीद रखते हैं । इस प्रकार पूरी दुनिया में शुध्ध आध्यात्मिकता साकार करने का माहौल पूरी तरह से प्रतिकूल हो जाता है ।

हम इस ग्रह पर प्रभुपाद की शारीरिक अभिव्यक्ति के अंतिम दिनों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि अंतिम महिनों उन को इल्ल्युमिनिटी के एजेंटों द्वारा कमरे में बंद कर दिया गया था उस से पहले नियमित रूप से एक वर्ष से अधिक समय से आर्सेनिक दिया जाता था और प्रशासित किया गया था । वो मात्र दर्द और पीड़ा में, एक नश्वर के रूप में नहीं मरे थे ।

श्रील प्रभुपाद ने अपनी आखरी वक्त तक अपने दिव्य पुस्तकों का अनुवाद जारी रखा । वो व्यक्तिगत रूप से इन राक्षसों द्वारा परेशान किये जाते रहे थे, लेकिन आम लोगों के लिए, जो कृष्ण चेतना के अभाव में पीड़ित थे, उनके लेये पूजनिय थे । मरते समय भी श्रील प्रभुपाद कृष्ण चेतना का प्रचार करने की कोशिश कर रहे थे । वास्तव में श्रील प्रभुपाद आत्म - बोध के सर्वोच्च स्तर पर बिराजमान एक संत का लक्षण प्रकट कर रहे थे । एक तरफ वह अपने ही कष्टों के प्रति सहिष्णु थे और दूसरी तरफ वह दयालु थे ।

हमने यह जानकारी इस लिए संकलित की है ताकी श्रील प्रभुपाद की बेदाग चरित्र की रक्षा हो सके और जनता को यह स्पष्ट कर दें की अब श्रील प्रभुपाद द्वारा स्थापित शुद्ध हरे कृष्ण आंदोलन नहीं है बल्की इस पंथ भक्तों की पोशाक में जलते इम्पोसट्र्स के एक समूह की विनाश लीला है ।
इन इम्पोसट्र्स ने हर स्तर पर श्रील प्रभुपाद के मार्गदर्शन की उपेक्षा की है, विशेष रूप से बच्चों की सुरक्षा के संबंध में ।

ये बच्चे भगवान की भेंट होते हैं, और हमे उन्हें बचाने के लिए बहुत सावधान रहना चाहिए । ये साधारण बच्चे नहीं हैं, वे Vaikuntha [आध्यात्मिक] बच्चे हैं, और हम उन्हें कृष्ण चेतना में आगे अग्रिम करने का मौका दे सकते हैं बहुत भाग्यशाली हैं हम । यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, उपेक्षा मत करो, या भ्रमित भी मत बनो । आपका कर्तव्य बहुत स्पष्ट है. "[अरुंधति, एम्स्टर्डम, 30 जुलाई, 1972 को श्रील प्रभुपाद पत्र]

भले इल्लुमिनिटी संस्था में घुसपैठ करने में सफल हो कर आध्यात्मिकता को मृत लाश में बदल दे या धार्मिक कट्टरपंथियों के एक पंथ में बदल दे, लेकिन वे प्रभुपाद की वास्तविक आध्यात्मिक आंदोलन को नष्ट करने में सक्षम नहीं होगा ।


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