सभी मित्रों को \"सरकारी हिन्दी दिवस\" की शुभकामनाएँ...
\"सरकारी\" इसलिए लिखा, क्योंकि हम तो रोज़ ही हिन्दी में लिखते हैं.!
हम हिन्दी दिवस मानते है ?
हाँ 365 दिन मनाते हैं ।
ये सोचने का मुद्दा है कि क्या हमे अपने ही देश में अपनी ही भाषा का दिवस बनाने की जरुरत है ? क्या हिंदी कोई विदेशी भाषा है ? क्या फ्रांस कभी फ्रेंच डे मनाता है या रूस, जर्मनी, स्वीडन, पोलैंड, इटली, पुर्तगाल, स्पेन, इंग्लैंड आदि आदि अपने ही देश में अपनी भाषा का दिवस मानते है ?
भारत में हिंदी दिवस एक लानत ही है, हिंदी हमारी 365 दिवस की भाषा है हिंदी को मात्र 14 Sep की भाषा बताना अपनी संस्कृति के साथ ही मजाक है।
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चौदह सितंबर समय आ गया है एक और हिंदी दिवस मनाने का आज हिंदी के नाम पर कई सारे पाखंड होंगे जैसे कि कई सारे सरकारी आयोजन हिंदी में काम को बढ़ावा देने वाली घोषणाएँ विभिन्न तरह के सम्मेलन इत्यादि इत्यादि। हिंदी की दुर्दशा पर घड़ियाली आँसू बहाए जाएँगे, हिंदी में काम करने की झूठी शपथें ली जाएँगी और पता नहीं क्या-क्या होगा। अगले दिन लोग सब कुछ भूल कर लोग अपने-अपने काम में लग जाएँगे और हिंदी वहीं की वहीं सिसकती झुठलाई व ठुकराई हुई रह जाएगी।
ये सिलसिला आज़ादी के बाद से निरंतर चलता चला आ रहा है और भविष्य में भी चलने की पूरी पूरी संभावना है। कुछ हमारे जैसे लोग हिंदी की दुर्दशा पर हमेशा रोते रहते हैं और लोगों से, दोस्तों से मन ही मन गाली खाते हैं क्यों कि हम पढ़े-लिखे व सम्मानित क्षेत्रों में कार्यरत होने के बावजूद भी हिंदी या अपनी क्षेत्रीय भाषा के प्रयोग के हिमायती हैं। वास्तव में हिंदी तो केवल उन लोगों की कार्य भाषा है जिनको या तो अंग्रेज़ी आती नहीं है या फिर कुछ पढ़े-लिखे लोग जिनको हिंदी से कुछ ज़्यादा ही मोह है और ऐसे लोगों को सिरफिरे पिछड़े या बेवक़ूफ़ की संज्ञा से सम्मानित कर दिया जाता है।
सच तो यह है कि ज़्यादातर भारतीय अंग्रेज़ी के मोहपाश में बुरी तरह से जकड़े हुए हैं। आज स्वाधीन भारत में अंग्रेज़ी में निजी पारिवारिक पत्र व्यवहार बढ़ता जा रहा है काफ़ी कुछ सरकारी व लगभग पूरा ग़ैर सरकारी काम अंग्रेज़ी में ही होता है, दुकानों वगैरह के बोर्ड अंग्रेज़ी में होते हैं, होटलों रेस्टारेंटों इत्यादि के मेनू अंग्रेज़ी में ही होते हैं। ज़्यादातर नियम कानून या अन्य काम की बातें किताबें इत्यादि अंग्रेज़ी में ही होते हैं, उपकरणों या यंत्रों को प्रयोग करने की विधि अंग्रेज़ी में लिखी होती है, भले ही उसका प्रयोग किसी अंग्रेज़ी के ज्ञान से वंचित व्यक्ति को करना हो। अंग्रेज़ी भारतीय मानसिकता पर पूरी तरह से हावी हो गई है। हिंदी (या कोई और भारतीय भाषा) के नाम पर छलावे या ढोंग के सिवा कुछ नहीं होता है।
इस अँग्रेजी की गुलामी से बाहर निकलना चाहते हैं यहाँ जरूर जरूर click करे !
और आज अपना कीमती समय मातृभाषा की महत्वता जानने के लिए दें !
must click !
http://www.youtube.com/ watch?v=ZqtRzpv52Ls
वन्देमातरम !
\"सरकारी\" इसलिए लिखा, क्योंकि हम तो रोज़ ही हिन्दी में लिखते हैं.!
हम हिन्दी दिवस मानते है ?
हाँ 365 दिन मनाते हैं ।
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भारत में हिंदी दिवस एक लानत ही है, हिंदी हमारी 365 दिवस की भाषा है हिंदी को मात्र 14 Sep की भाषा बताना अपनी संस्कृति के साथ ही मजाक है।
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चौदह सितंबर समय आ गया है एक और हिंदी दिवस मनाने का आज हिंदी के नाम पर कई सारे पाखंड होंगे जैसे कि कई सारे सरकारी आयोजन हिंदी में काम को बढ़ावा देने वाली घोषणाएँ विभिन्न तरह के सम्मेलन इत्यादि इत्यादि। हिंदी की दुर्दशा पर घड़ियाली आँसू बहाए जाएँगे, हिंदी में काम करने की झूठी शपथें ली जाएँगी और पता नहीं क्या-क्या होगा। अगले दिन लोग सब कुछ भूल कर लोग अपने-अपने काम में लग जाएँगे और हिंदी वहीं की वहीं सिसकती झुठलाई व ठुकराई हुई रह जाएगी।
ये सिलसिला आज़ादी के बाद से निरंतर चलता चला आ रहा है और भविष्य में भी चलने की पूरी पूरी संभावना है। कुछ हमारे जैसे लोग हिंदी की दुर्दशा पर हमेशा रोते रहते हैं और लोगों से, दोस्तों से मन ही मन गाली खाते हैं क्यों कि हम पढ़े-लिखे व सम्मानित क्षेत्रों में कार्यरत होने के बावजूद भी हिंदी या अपनी क्षेत्रीय भाषा के प्रयोग के हिमायती हैं। वास्तव में हिंदी तो केवल उन लोगों की कार्य भाषा है जिनको या तो अंग्रेज़ी आती नहीं है या फिर कुछ पढ़े-लिखे लोग जिनको हिंदी से कुछ ज़्यादा ही मोह है और ऐसे लोगों को सिरफिरे पिछड़े या बेवक़ूफ़ की संज्ञा से सम्मानित कर दिया जाता है।
सच तो यह है कि ज़्यादातर भारतीय अंग्रेज़ी के मोहपाश में बुरी तरह से जकड़े हुए हैं। आज स्वाधीन भारत में अंग्रेज़ी में निजी पारिवारिक पत्र व्यवहार बढ़ता जा रहा है काफ़ी कुछ सरकारी व लगभग पूरा ग़ैर सरकारी काम अंग्रेज़ी में ही होता है, दुकानों वगैरह के बोर्ड अंग्रेज़ी में होते हैं, होटलों रेस्टारेंटों इत्यादि के मेनू अंग्रेज़ी में ही होते हैं। ज़्यादातर नियम कानून या अन्य काम की बातें किताबें इत्यादि अंग्रेज़ी में ही होते हैं, उपकरणों या यंत्रों को प्रयोग करने की विधि अंग्रेज़ी में लिखी होती है, भले ही उसका प्रयोग किसी अंग्रेज़ी के ज्ञान से वंचित व्यक्ति को करना हो। अंग्रेज़ी भारतीय मानसिकता पर पूरी तरह से हावी हो गई है। हिंदी (या कोई और भारतीय भाषा) के नाम पर छलावे या ढोंग के सिवा कुछ नहीं होता है।
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