भारत को '''मुस्लिमराष्ट्र'' से बचाने के लिए अभी तक कोई योजना नहीं बनी है...हिन्दू कैसे विश्वास करे कि इस देश से हिन्दू धर्म नहीं समाप्त होगा-जबकि इस्लाम अपने गुप्त एजेंडा पर ही आगे बढ़ रहा है...
अमनदीप सिंह की एक रिपोर्ट ->>>>>>
शुरुआत में उस देश की राजनैतिक व्यवस्था सहिष्णु और बहु-सांस्कृतिकवादी बनकर मुसलमानों को अपना धर्म मानने, प्रचार करनेकी इजाजत दे देती है,
इस तरह किसी भी देश, प्रदेश या क्षेत्र के “इस्लामीकरण” करने की एक प्रक्रिया शुरू हो जाती है।,
इसे समझने के लिये हम कई देशों का उदाहरण देखेंगे,
तो आईये देखते हैं कि यह सारा “खेल” कैसे होता है :-
जब तक मुस्लिमों की जनसंख्या किसी देश/प्रदेश/ क्षेत्र में लगभग 2% के आसपास होती है, तब वे एकदम शांतिप्रिय, कानूनपसन्द अल्पसंख्यक बनकर रहते हैं और किसी को विशेष शिकायत का मौका नहीं देते,
जैसे -
अमेरिका – मुस्लिम 0.6%
ऑस्ट्रेलिया – मुस्लिम 1.5%
कनाडा – मुस्लिम 1.9%
चीन – मुस्लिम 1.8%
इटली – मुस्लिम 1.5%
नॉर्वे – मुस्लिम 1.8%
जब मुस्लिम जनसंख्या 2% से 5% के बीच तक पहुँच जाती है, तब वे अन्य धर्मावलम्बियों में अपना “धर्मप्रचार” शुरु कर देते हैं, जिनमें अक्सर समाज का निचला तबका और अन्य धर्मों से असंतुष्ट हुए लोग होते हैं,
उनमे ये इस्लाम के सिद्धातो की चमकदार मार्केटिंग करने लिए जी जान से जुटे रहते है !
और अपने इस्लाम को चमकाने के लिए दूसरे मजहबो मे
लगातार कमियां निकालते रहते है!
और हाल फिलहाल के लिए शरिया कानून के लिए आवाज
नही उठाते जब तक इस्लाम पूरी तरह व्यवस्था मे अपनी पैठ
ना बना ले ! जैसे कि –
डेनमार्क – मुस्लिम 2%
जर्मनी – मुस्लिम 3.7%
ब्रिटेन – मुस्लिम 2.7%
स्पेन – मुस्लिम 4%
थाईलैण्ड – मुस्लिम 4.6%
मुस्लिम जनसंख्या के 5% से ऊपर हो जाने पर वे अपने अनुपात के हिसाब से अन्य धर्मावलम्बियों पर दबाव बढ़ाने लगते हैं और अपना “प्रभाव” जमाने की कोशिशकरने लगते हैं।
उन देशों में यह तबका अपने खास “मोहल्लो” में रहना शुरु
कर देता है, एक “ग्रुप” बनाकर विशेष कालोनियाँ या क्षेत्र बना लिये जाते हैं, उन क्षेत्रों में अघोषित रूप से “शरीयत कानून” लागू कर दिये जाते हैं। जिससे उस देश की पुलिस या कानून-व्यवस्था
उन क्षेत्रों में काम नहीं कर पाती,
इस बिन्दु पर आकर मुस्लिम लोग सरकारों पर यह दबाव बनाने लगते हैं कि उन्हें उनके “क्षेत्रों” में शरीयत कानून (इस्लामिक कानून) के मुताबिक चलने दिया जाये ....
(क्योंकि उनका अन्तिम लक्ष्य तो यही है कि समूचा विश्व “शरीयत” कानून के हिसाब से चले)
ऐसा जिन देशों में हो चुका वह हैं –
फ़्रांस – मुस्लिम 8%
फ़िलीपीन्स – मुस्लिम 6%
स्वीडन – मुस्लिम 5.5%
स्विटजरलैण्ड – मुस्लिम 5.3%
नीडरलैण्ड – मुस्लिम 5.8%
त्रिनिदाद और टोबैगो – मुस्लिम 6%
जब मुस्लिम जनसंख्या 10% से अधिक हो जाती है तब वे उस
देश/प्रदेश/राज्य/क्षेत्र विशेष में कानून-व्यवस्था के लिये परेशानी पैदा करना शुरु कर देते हैं,
बार बार शिकायतें करना शुरु कर देते हैं, और अपने लिए अलग अधिकारो की मांग करने लगते है और अपने हालात का रोना लेकर बैठ जाते हैं,
यहा राजनेता और प्रशासन भी वोटो की अहमियत देखकर उनके पक्ष मे लामबंद हो जाते है (*अधिक जनसंख्या होने का “फ़ैक्टर” यहाँ से मजबूत होना शुरु हो जाता है),
इस तरह मुस्लिम लोग अपनी बहुलता वाले जिले और मौहल्लो को बढाते जाते है .. और चुपचाप मस्जिदो ,मदरसो और मुस्लिम संस्थाओमे जबरदस्त बढोतरी होती जाती है ...
और ये बढती मुस्लिम जनसंख्य वहा के सिस्टम पर दवाब डालकर इस्लाम की आलोचना करने वाली संस्थाओ को बंद करवाने पर जोर डालती है और व्यवस्था को अपने मुताबिक चलाने लगती है !
यहा मौडरेट मुस्लिमो की जमात दूसरे मजहबो मे "सेकुलर" ढूंढ कर उनकी तारीफो के पुल बाँध देती है ,ताकि इनका इस्लामीकरण का एजेंड़ा चलता रहे ....
इस तरह मुसलमानो द्वारा समय समय पर भाईचारा,सदभाव और लुभावनी मीठी बाते करके हिंदुओ और गैरमुस्लिमो को "नींद की गोली" दी जाती है ...
ताकि हिंदुओ और गैर मुस्लिमो का ध्यान मुसलमानो की पौपुलेशन जो जिला ,शहरो के लेवल से लगातार बढती जा रही है ,उससे वो बेखबर रहे और किसी का उस पर ध्यान न जाने पाए ..
ऐसा जिन देशो मे हो रहा है ,
वो है -
गुयाना – मुस्लिम 10%
केन्या – मुस्लिम 13%
इसराइल – मुस्लिम 16%
भारत – मुस्लिम 19%
रूस – मुस्लिम 15% (चेचन्या – मुस्लिम आबादी 70%)
जब मुस्लिम जनसंख्या 30% से 60% के आस पास हो जाती है तब
तब वहाँ इस्लामिक आंदोलन शुरु होते हैं और वहा हर तरफ मस्जिदो और मदरसो की बाढ आ जाती है
इसतरह वहा इस्लाम एक समूची “व्यवस्था” के रूप में मौजूद रहता है।
फिर इस्लाम की कई शाखायें जैसे धार्मिक, न्यायिक,राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सैनिक वहा अपना कब्जा जमा लेती है
जैसे-
इथियोपिया – मुस्लिम 32.8%
बोस्निया – मुस्लिम 40%
चाड – मुस्लिम 54.2%
लेबनान – मुस्लिम 59%
मलेशिया – मुस्लिम 65%
जनसंख्या के 70% से ऊपर हो जाने के बाद तो सत्ता/ शासन प्रायोजित जातीय सफ़ाई की जाती है, अन्य धर्मों के अल्पसंख्यकों को उनके मूल नागरिक अधिकारों से भी वंचित कर दिया जाता है, सभी प्रकार के हथकण्डे/हथियार अपनाकर जनसंख्या को 100% तक ले जाने का लक्ष्य रखा जाता है, जैसे –
अल्बानिया – मुस्लिम 70%
कतर – मुस्लिम 78%
सूडान – मुस्लिम 75%
बांग्लादेश – मुस्लिम 83%
मिस्त्र – मुस्लिम 90%
गाज़ा पट्टी – मुस्लिम 98%
ईरान – मुस्लिम 98%
ईराक – मुस्लिम 97%
जोर्डन – मुस्लिम 93%
मोरक्को – मुस्लिम 98%
पाकिस्तान – मुस्लिम 97%
सीरिया – मुस्लिम 90%
संयुक्त अरब अमीरात – मुस्लिम 96%
बनती कोशिश पूरी 100% जनसंख्या मुस्लिम बन जाने,यानी कि दार-ए-स्सलाम होने की स्थिति में वहाँ सिर्फ़ मदरसे होते हैं और सिर्फ़ कुरान पढ़ाई जाती है और उसे ही अन्तिम सत्य माना जाता है, यहा सारी दुनिया के जिहादी संगठन अपनी जडे जमा लेते है
जैसे –
अफ़गानिस्तान – मुस्लिम 100%
सऊदी अरब – मुस्लिम 100%
सोमालिया – मुस्लिम 100%
यमन – मुस्लिम 100%
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कुछ ध्यान देने योग्य बाते :-
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1) जहा मुस्लिम संख्या मे कम होते है वहा खुद को "मजलूम" और "ग़ुलाम" बता कर प्रोपेगंडा करते है और बाकी मजहब वालो को जालिम ठहरा देते है जैसे :-
१-इजराईल मे ---यहूदियो को जायनिस्ट ठहराना
२-अमेरिका मे--अमेरिकन्स को दहशतगर्द ठहराना
३- यूरोप मे----ईसाईयो को रासिस्ट ठहराना
४-भारत मे---हिन्दुओ को सांप्रदायिक ठहराना
५-बौद्ध देशो---बौद्धो को फासिस्ट ठहराना
जाहिर है ऐसा करके ये अगले पर आगे से आगे मानसिक दबाब
बनाने का प्रयास करते हैं ,ताकि अगला घबड़ाकर कर चुप
हो जाये .....!
2) और जो राष्ट्रवादी संगठन इनके इस्लामीकरण केअभियान
मे आड़े आते है ये उनके खिलाफ प्रोपगेंडा करते है ,जैसे भारत के कुछ राष्ट्रवादी संगठनो के अलावा बाहर मे English Defence League(EDL), SIOA ,SIOE ,Mossad जैसे बड़े- बडे सैकड़ो राष्ट्रवादी संगठनो को ये मुस्लिम लोग जालिम और मुसलमानो का दुश्मन ठहरा देते है !
3) सच सामने आने पर मुस्लिमो के पास बहस के लिए हमेशा कुतर्क और घिसपिटे जवाब तैयार रहते है ,
लेकिन कई बार ध्यान बटाने के लिए मुस्लिम लोग गरीबी ,इंसानियत ,शांति या ऐसी ही कई मीठी मीठी बाते करके "इमोशनल" प्रौपगेंडा करके गुमराह भी करते रहते है !
सरकारी आंकडो के मुताबिक भारत में कुल मुस्लिम जनसंख्या 19% के आसपास मानी जाती है,
जबकि हकीकत यह है कि उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल ,जम्मू कश्मीर ,आंध्रप्रदेश,आसाम और केरल के कई जिलों समेत देश के दूसरे 40-50 जिलो मे में यह आँकड़ा 50 % से 60% तक पहुँच चुका है…
अब देश में अगले 10-15 सालो मे और उससे आगे के सालो मे क्या परिस्थितियाँ बनेंगी यह कोई भी (“सेकुलरों” को छोड़कर) आसानी से सोच-समझ सकता है…
अब जैसे जैसे ये मुस्लिम जनसंख्या बढती रहेगी ,वैसे वैसे हमारे लिए समस्याए और ज्यादा बढने वाली है !
इसलिए सारी दुनिया इस पुराने इस्लामी साम्राज्यवाद के खतरे को जान चुकी है और इसके खिलाफ एकजुट हो चुकी है ।
आज चाहे जापान ,इजराइल जैसे छोटे देश हो या अमेरिका रूस ,आस्ट्रेलिया जैसे बडे देश ...कोई भी देश अपनी संस्कृति ,अपनी पहचान ,अपनी विरासत की कीमत पर समझौता नही करता !
->>>इन रिपोर्ट को देखकर हिन्दू कैसे भरोसा करे '''कांग्रेस.सपा.बसपा ,ममता,नितीश आदि सेक्युलर नेताओ पर.......ये नेता अभी तक भारतीय संस्कृत,सभ्यता,समाज,हिन्दू धर्म को बचाने के लिए कोई योजना नहीं बनाया,ये नेता ज्यादा ध्यान '''अरबी समाज,मजहब को बचाने के लिए ही लगाते है.
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