अल्पसंख्यकबाद के खतरे और भारत में लेता भयानक रूप -
अभी कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक फैसले के तहत भारत में इस्लाम मतावलंबी अल्पसंख्यक नहीं है ऐसा निर्णय दिया था, दुर्भाग्य है कि न तो भारत सरकार न तो राज्य सरकार ने इस निर्णय के प्रति गंभीरता दिखाई एक तरफ देश के गृहमंत्री कहते है कि इस्लाम विदेशी धर्म नहीं है दूसरी तरफ वे मुसलमानों को अल्पसंख्यक भी मानते है जब कि अल्पसंख्यक की परिभाषा में आता है कि जो विदेशी धर्म व संस्कृति है उनके सुरक्षा व संरक्षण हेतु उन्हें अल्पसंख्यक माना जाता है, कोर्ट का निर्णय भारतीय जनता ने ऐतिहासिक कहा तो भारत सरकार व सेकुलर फोर्सेस ने निर्णय की आलोचना की.
बीसवी शताब्दी ने अनेक साम्राज्यों को नष्ट होते देखा, साथ ही धरती पर अनेक नए देशो को जन्म लेते हुए भी, इस उथल - पुथल ने कुछ ताकतों को अल्पसंख्यक से बहुसंख्यक बना दिया और बहुसंख्यको को अल्पसंख्यक में तब्दील कर दिया. इस तरह कहा जा सकता है की कौन सा समूह कब अल्पसंख्यक बन जायेगे और कब बहुसंख्यक का रूप धारण कर लेगे कुछ नहीं कहा जा सकता .
मानव इतिहास में अब तक चार बड़े सामाज्य स्थापित हुए, इनमे अटोमन, ओस्टो हंगेरियन, ब्रिटिश और रूशी साम्राज्य का समावेश हो जाता है ये चारो बने और फिर टूटे, उसके साथ ही उनकी सीमाओ में अल्पसंख्यक भी अस्तित्व में आए, एक प्राकृतिक भूभाग को जब राजनैतिक ईकाइ बनाया जाता है तब उसमे रहने वाले इन्शान का धर्म, भाषा, वंश और उसकी संस्कृत मिट तो नहीं सकती, लेकिन किसी अन्य के दबाव में आ जाते है, जहा से कभी न समाप्त होने वाला संघर्ष शुरू हो जाता है .
इंग्लैण्ड और आयरलैंड का संघर्ष पुराना है, उक्त संघर्ष ईशाई धर्म के दो पन्थो प्रोटेस्टेंट और रोमन कैथोलिक के बीच है, ट्रांस्वेल सहित सभी स्थानों पर इन पन्थो के बीच अल्पसंख्यक - बहुसंख्यक बिबाद है, यूरोप में अल्पसंख्यक समूहों के बीच एक-दुसरे से बिबाद होने के उपरांत भी उनमे सांस्कृतिक एकता बनी रहती है क्यों कि वे सभी एक ही ईशु के अनुयायी है.
इजराइल में १५ प्रतिशत अरब अल्पसंख्यक है, यहूदी जनता के साथ उनका अच्छा तालमेल है यहूदी और अरबी संस्कृति में अधिक अंतर नहीं है, इसलिए उन १५ प्रतिशत अरब अल्पसंख्यको को कोई कठिनाई नहीं होती वे इजराइल सरकार के साथ अपने अच्छे सम्बन्ध बनाये हुए है.
भारत में एक अल्पसंख्यक पारसी भी है जो कर्मयोगी है इसलिए वे अल्पसंख्यक होने बावजूद कभी न तो सरकार से आर्थिक सहायता की माग की न ही आरक्षण जैसा मुद्दा उठाया है, अल्पसंख्यक होने के नाते उनका कभी हिन्दू समाज से टकराव नहीं हुआ उस समाज ने सरकार से न तो कोई धार्मिक अधिकार मागे और न ही राजनैतिक अधिकार के लिए संघर्ष किया इसके बावजूद उस समाज से कई संसद और मंत्री व प्रतिष्ठित राजनेता हुए इसी समाज ने नाना पालकीवाला और टाटा जैसा लब्ध प्रतिष्ठित वकील और उद्द्योगपति दिया, इस समाज ने कभी भी भेद-भाव का अनुभव नहीं किया .
इस्लामी सिद्धांत के अनुसार मुस्लिम देश 'अल्पसंख्यक' शब्द में विस्वास नहीं रखते, उनका मानना है की यदि तुम वहा इस्लामी राज्य स्थापित नहीं कर सकते हो तो जहा रह रहे हो वहा से हिजरत [पलायन] कर जावो, इस्लाम में दारुल हरब और दारुल इस्लाम नामक शब्दावली है, जहा मुस्लिम अल्पसंख्या में होता है तब उसे 'दारुल हरब'अर्थात दुश्मन का देश कहा जाता है, दारुल हरब को दारुल इस्लाम बनाने के लिए उन्हें धर्मान्तरण से जेहाद तक का हथियार उपयोग करना चाहिए भारत तो इस समस्या को कश्मीर, असम और प्.बंगाल में झेल ही रहा है चीन अपने झियांग और रुश चेचन्या में जूझ रहा है..
अल्पसंख्यक के रूप में मुस्लिम जब किसी विशेष क्षेत्र में रहते है तो शनैः -शनैः अपनी संख्या बढ़ाते जाते है, जब जनसँख्या अच्छी हो जाती है तब वे अपने स्वतंत्र देश की माग करना शुरू कर देते है अथवा स्वतंत्र इस्लामिक देश के रूप में परिणित हो इसकी मुहीम चलते है. आज भारत इसका शिकार बना हुआ है भारत से अधिक इस समस्या को कौन समझ सकता है हमने विक्रमादित्य के मक्केस्वर महादेव के मंदिर खोये है, गांधारी तथा बुद्ध का कंधार गवाया, केशर की क्यारी छिन्न- भिन्न होते देखा कहा है हिंगलाज --?, कहा है ननकाना?, मल-मल के कपड़ो का ढाका, धाकेस्वरी मंदिर को जाते देखा, भारत छिन्न-भिन्न हो गया जो दुनिया का गुरु स्थान पर था वैभव संपन्न था वह बिखर गया टुटा- फूटा भारत कैसा आये दिन हिन्दू समाज प्रताड़ित किया जा रहा है जहा- जहा मुस्लिम की संख्या अधिक है वहा दुर्गापूजा या रामलीला और महाबीरी झंडा उठाना दूभर हो गया है मखतब और मदरसे आतंकबाद की नर्शरी की तरह काम कर रहे है.
सेकुलर के नाम पर सभी पार्टियों के नेता देशद्रोह पर उतारू है तुष्टी करण कर देश को बिभाजन की तरफ ले जा रहे है कांग्रेश को तो देश से कोई मतलब ही नहीं है हो भी क्यों सोनिया का भारत से या भारतीय संस्कृत से क्या मतलब देश रहे या न रहे वह तो आज भी इटली की नागरिक है राहुल की पढाई -लिखाई तो रुश की ख़ुफ़िया एजेंशी के.जे.बी.के द्वारा हुई है उनसे उम्मीद रखना तो भारतीयों की मूर्खता के अतिरिक्त कुछ नहीं और कांग्रेसी गुर्गे केवल सोनिया और राहुल के भजन गाने में लगे हुए है, हमारे प्रधानमंत्री तो एक कदम और आगे बढ़कर आग में घी डालने का काम करते है, कहते है की देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यको यानी मुसलमानों का है .
हिन्दुओ की दशा उसी प्रकार होने वाली है जैसे कोई जीव जंतु समाप्त होने लगता है तो उसे चिड़िया घर में सुरक्षित रखा जाता है जब वह भी मर जाता है तो उसे अजायब घर में विश्व को दिखने लिए सुरक्षित रख दिया जाता है की इस प्रकार के भी जीव दुनिया में थे आज उसी प्रकार हिन्दुओ की दशा होने वाली है ,हिन्दुओ सोचो, समझो, और उसके लिए कुछ करो अपने समाज को संगठित, सुसंस्कृत और शिक्षित बनाओ तुम्हे बचाने कोई और बिदेशी नहीं आयेगा तुम्हे ही आगे आना पड़ेगा.
अभी कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाइकोर्ट ने एक फैसले के तहत भारत में इस्लाम मतावलंबी अल्पसंख्यक नहीं है ऐसा निर्णय दिया था, दुर्भाग्य है कि न तो भारत सरकार न तो राज्य सरकार ने इस निर्णय के प्रति गंभीरता दिखाई एक तरफ देश के गृहमंत्री कहते है कि इस्लाम विदेशी धर्म नहीं है दूसरी तरफ वे मुसलमानों को अल्पसंख्यक भी मानते है जब कि अल्पसंख्यक की परिभाषा में आता है कि जो विदेशी धर्म व संस्कृति है उनके सुरक्षा व संरक्षण हेतु उन्हें अल्पसंख्यक माना जाता है, कोर्ट का निर्णय भारतीय जनता ने ऐतिहासिक कहा तो भारत सरकार व सेकुलर फोर्सेस ने निर्णय की आलोचना की.
बीसवी शताब्दी ने अनेक साम्राज्यों को नष्ट होते देखा, साथ ही धरती पर अनेक नए देशो को जन्म लेते हुए भी, इस उथल - पुथल ने कुछ ताकतों को अल्पसंख्यक से बहुसंख्यक बना दिया और बहुसंख्यको को अल्पसंख्यक में तब्दील कर दिया. इस तरह कहा जा सकता है की कौन सा समूह कब अल्पसंख्यक बन जायेगे और कब बहुसंख्यक का रूप धारण कर लेगे कुछ नहीं कहा जा सकता .
मानव इतिहास में अब तक चार बड़े सामाज्य स्थापित हुए, इनमे अटोमन, ओस्टो हंगेरियन, ब्रिटिश और रूशी साम्राज्य का समावेश हो जाता है ये चारो बने और फिर टूटे, उसके साथ ही उनकी सीमाओ में अल्पसंख्यक भी अस्तित्व में आए, एक प्राकृतिक भूभाग को जब राजनैतिक ईकाइ बनाया जाता है तब उसमे रहने वाले इन्शान का धर्म, भाषा, वंश और उसकी संस्कृत मिट तो नहीं सकती, लेकिन किसी अन्य के दबाव में आ जाते है, जहा से कभी न समाप्त होने वाला संघर्ष शुरू हो जाता है .
इंग्लैण्ड और आयरलैंड का संघर्ष पुराना है, उक्त संघर्ष ईशाई धर्म के दो पन्थो प्रोटेस्टेंट और रोमन कैथोलिक के बीच है, ट्रांस्वेल सहित सभी स्थानों पर इन पन्थो के बीच अल्पसंख्यक - बहुसंख्यक बिबाद है, यूरोप में अल्पसंख्यक समूहों के बीच एक-दुसरे से बिबाद होने के उपरांत भी उनमे सांस्कृतिक एकता बनी रहती है क्यों कि वे सभी एक ही ईशु के अनुयायी है.
इजराइल में १५ प्रतिशत अरब अल्पसंख्यक है, यहूदी जनता के साथ उनका अच्छा तालमेल है यहूदी और अरबी संस्कृति में अधिक अंतर नहीं है, इसलिए उन १५ प्रतिशत अरब अल्पसंख्यको को कोई कठिनाई नहीं होती वे इजराइल सरकार के साथ अपने अच्छे सम्बन्ध बनाये हुए है.
भारत में एक अल्पसंख्यक पारसी भी है जो कर्मयोगी है इसलिए वे अल्पसंख्यक होने बावजूद कभी न तो सरकार से आर्थिक सहायता की माग की न ही आरक्षण जैसा मुद्दा उठाया है, अल्पसंख्यक होने के नाते उनका कभी हिन्दू समाज से टकराव नहीं हुआ उस समाज ने सरकार से न तो कोई धार्मिक अधिकार मागे और न ही राजनैतिक अधिकार के लिए संघर्ष किया इसके बावजूद उस समाज से कई संसद और मंत्री व प्रतिष्ठित राजनेता हुए इसी समाज ने नाना पालकीवाला और टाटा जैसा लब्ध प्रतिष्ठित वकील और उद्द्योगपति दिया, इस समाज ने कभी भी भेद-भाव का अनुभव नहीं किया .
इस्लामी सिद्धांत के अनुसार मुस्लिम देश 'अल्पसंख्यक' शब्द में विस्वास नहीं रखते, उनका मानना है की यदि तुम वहा इस्लामी राज्य स्थापित नहीं कर सकते हो तो जहा रह रहे हो वहा से हिजरत [पलायन] कर जावो, इस्लाम में दारुल हरब और दारुल इस्लाम नामक शब्दावली है, जहा मुस्लिम अल्पसंख्या में होता है तब उसे 'दारुल हरब'अर्थात दुश्मन का देश कहा जाता है, दारुल हरब को दारुल इस्लाम बनाने के लिए उन्हें धर्मान्तरण से जेहाद तक का हथियार उपयोग करना चाहिए भारत तो इस समस्या को कश्मीर, असम और प्.बंगाल में झेल ही रहा है चीन अपने झियांग और रुश चेचन्या में जूझ रहा है..
अल्पसंख्यक के रूप में मुस्लिम जब किसी विशेष क्षेत्र में रहते है तो शनैः -शनैः अपनी संख्या बढ़ाते जाते है, जब जनसँख्या अच्छी हो जाती है तब वे अपने स्वतंत्र देश की माग करना शुरू कर देते है अथवा स्वतंत्र इस्लामिक देश के रूप में परिणित हो इसकी मुहीम चलते है. आज भारत इसका शिकार बना हुआ है भारत से अधिक इस समस्या को कौन समझ सकता है हमने विक्रमादित्य के मक्केस्वर महादेव के मंदिर खोये है, गांधारी तथा बुद्ध का कंधार गवाया, केशर की क्यारी छिन्न- भिन्न होते देखा कहा है हिंगलाज --?, कहा है ननकाना?, मल-मल के कपड़ो का ढाका, धाकेस्वरी मंदिर को जाते देखा, भारत छिन्न-भिन्न हो गया जो दुनिया का गुरु स्थान पर था वैभव संपन्न था वह बिखर गया टुटा- फूटा भारत कैसा आये दिन हिन्दू समाज प्रताड़ित किया जा रहा है जहा- जहा मुस्लिम की संख्या अधिक है वहा दुर्गापूजा या रामलीला और महाबीरी झंडा उठाना दूभर हो गया है मखतब और मदरसे आतंकबाद की नर्शरी की तरह काम कर रहे है.
सेकुलर के नाम पर सभी पार्टियों के नेता देशद्रोह पर उतारू है तुष्टी करण कर देश को बिभाजन की तरफ ले जा रहे है कांग्रेश को तो देश से कोई मतलब ही नहीं है हो भी क्यों सोनिया का भारत से या भारतीय संस्कृत से क्या मतलब देश रहे या न रहे वह तो आज भी इटली की नागरिक है राहुल की पढाई -लिखाई तो रुश की ख़ुफ़िया एजेंशी के.जे.बी.के द्वारा हुई है उनसे उम्मीद रखना तो भारतीयों की मूर्खता के अतिरिक्त कुछ नहीं और कांग्रेसी गुर्गे केवल सोनिया और राहुल के भजन गाने में लगे हुए है, हमारे प्रधानमंत्री तो एक कदम और आगे बढ़कर आग में घी डालने का काम करते है, कहते है की देश के संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यको यानी मुसलमानों का है .
हिन्दुओ की दशा उसी प्रकार होने वाली है जैसे कोई जीव जंतु समाप्त होने लगता है तो उसे चिड़िया घर में सुरक्षित रखा जाता है जब वह भी मर जाता है तो उसे अजायब घर में विश्व को दिखने लिए सुरक्षित रख दिया जाता है की इस प्रकार के भी जीव दुनिया में थे आज उसी प्रकार हिन्दुओ की दशा होने वाली है ,हिन्दुओ सोचो, समझो, और उसके लिए कुछ करो अपने समाज को संगठित, सुसंस्कृत और शिक्षित बनाओ तुम्हे बचाने कोई और बिदेशी नहीं आयेगा तुम्हे ही आगे आना पड़ेगा.
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