इस्लाम में अल्लाह का नाम बर्बादी है !
जी हाँ सच्चाई जानने के लिए पुरी पोस्ट पढेँ ।
विश्व के लगभग सभी लोग इस सत्य को स्वीकार करते हैं कि जरूर कोई एक ऐसी अलौकिक शक्ति है , जो इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को नियंत्रित कर रही है .और बिना किसी की सहायता के संचालित कर रही है .धार्मिक उसी शक्ति को ईश्वर मानकर विभिन्न नामों से पुकारते और याद करते हैं .लोगों में ईश्वर के नाम के बारे में सदा से उत्सुकता बनी रही है .कुछ लोगों का विचार है कि ईश्वर का कोई निजी व्यक्तिगत नाम (PersonalName ) नहीं है .और कुछ लोगों का विचार है कि ईश्वर के अनेकों नाम हो सकते हैं ,जो उसके शुभ गुणों को प्रकट करते हैं .वैदिक धर्म सेलेकर यहूदी , ईसाई धर्म तक ईश्वर के द्वारा बताये गए उसके निजी नाम का स्पष्ट पता चलता है .लेकिन मुस्लिम विद्वानों ने अरबी अक्षरों की गणित विद्या के आधार पर अल्लाह के नाम जो खोज की है.चूँकि अरबी भाषा में हरेक अक्षर का एक संख्यात्मक मूल्य होता है.इसलिए बात को स्पष्ट करने के लिए उसी का सहारा लिया गया है .उससे अल्लाह की असलियत उजागर हो गयी है .यहाँ पर सभी धर्मों के आधार पर ईश्वर और अल्लाह का असली नाम दिया जा रहा है
1-ईश्वर का आत्मपरिचय
यह एक निर्विवाद सत्य है कि वेद विश्व के प्राचीनतम धार्मिक ग्रन्थ है .और उसी में ईश्वर द्वारा ही उसके निजी नाम का रहस्य खोला गया है . आज भी सभी योगी ईश्वर के उस गुप्त नाम को " महा वाक्य " कहते हैं .इश्वर द्वारा अपने नाम का उल्लेख यजुर्वेद के चालीसवें अध्याय में किया है .जिसे ईशावास्य उपनिषद् भी कहा जाता है .जिसमे ईश्वर ने कहा है "योऽसावसौ पुरुषः सोऽहमस्मि ॥16॥ अर्थात जो जो वह ऐसा पुरुष ( ईश्वर ) है वह मैं हूँ (I am He )कालांतर में यही महावाक्य यहूदी धर्म से ईसाई धर्म तक पहुँच गया ,जिसे काटछांट करके इस्लाम में ले लिया गया ।
इस्लाम शब्द में गुप्त नाम
चूंकि मुसलमान किसी गुप्त शब्द को छुपाने के लिए अक्षरों की जगह अंकों ( Numbers ) का प्रयोग करते हैं इसलिए पहले इस्लाम शब्द का अरबी में संख्यात्मक मूल्य पता किया गया जो इस प्रकार है ,
अरबी भाषा में इस्लाम को "अल इस्लाम الإسلام" कहा कहा जाता है . इस शब्द में अरबी के कुल सात अक्षर है . जो इस प्रकार हैं,अलिफ़ ,लाम , अलिफ़ ,सीन ,लाम,अलिफ़ ,मीम .इन सभी सातों अक्षरों की अलग अलग संख्यात्मक मूल्य का योग 163 है , जो इस प्रकार है .
1 + 30 + 1 + 60 + 30 + 1 + 40 = 163 . इस संख्या से संकेत मिलता है कि कुरान की 163 वीं आयत में अल्लाह का गुप्त नाम छुपा हुआ है
6-अल्लाह का नाम हुव है
इस संकेत के सहारे जब हम कुरान की सूरा बकरा की 163 वीं आयत पढ़ते हैं ,तो तौरेत के ईश्वर के लिए प्रयुक्त " यहुव " शब्द " हुव " शब्द ले लिया गया है .और हिब्रू का " य " अक्षर छोड़ दिया गया है . कुरान में कहा है
"
لاَّ إِلَهَ إِلاَّ هُوَ "Sura-Bakra . 2 :163
"
"ला इलाह इल्ला हुव "अर्थात नहीं कोई देवता मगर "वह"(" There is no god but He" Sura -bakra 2:163
7-कुरान में यहुव से हुव
दी गयी कुरान की आयत में आये हुए शब्द हुवهُوَ का अर्थ वह ( He ) होता है . इसमें दो अक्षर हे और वाव है .जो अरबी वर्णमाला में पांचवें और छठवे नंबर पर हैं . और अरबी अंक विद्या (Numerology ) के अनुसार इनकी संख्यात्मक मूल्य क्रमशः 5 और 6 हैं . जिनका योग 11 होता है .
इसके लिए देखिये विडिओ Yahweh' in Islam
8-अल्लाह के नाम का गुणांक
और यही ग्यारह (11) की संख्या ही अत्यंत ही महत्वपूर्ण है , क्योंकि इसी संख्या के गुणन खण्डों ( Multiples ) में अल्लाह के असली नाम का रहस्य छुपा हुआ है.जिसे अरबी गणित विद्या के आधार पर बेनकाब किया जा रहा है
अरबी में अल्लाह शब्द में चार अक्षर हैं , अलिफ़ ,लाम ,लाम और हे.और इनकी संख्यात्मक मूल्य 1 + 30 + 30 + 5= 66 है , और जिसे 11 से विभाजित किया जा सकता है.अर्थात अल्लाह के गुप्त नामों के अक्षरों के संख्यात्मक मूल्य का योग 11 से विभाजित होने वाला होगा ,
9-अल्लाह का गुप्त नाम बर्बाद और भयानक
अरबी गणित विद्या के अनुसार अल्लाह के दो गुप्त नाम ' खराब और हलाक "निकलते हैं . जो 11 की संख्या से बराबर विभाजित होते हैं .और अल्लाह के यही गुण सभी मुसलमानो में पाए जाते हैं .प्रमाण देखिये
600+200 +1+2=803=8+0+3=11 " خراب Destruction/ Devastation-विनाश तबाही
5+30+1+20=56=6+5= 11 " هلاك " Perishing -भयानक, डरावना
इसीलिए तो लोग कहते हैं कि "यथा नाम तथा गुण "हम उन सभी इस्लामी गणित के विद्वानों के आभारी हैं.जिनके कारण हम अल्लाह के असली नाम और गुणों से अवगत हो सके .
निष्कर्ष -जब यहूदियों और ईसाइयों का खुदा भी मुसलमान होने पर बर्बाद और तबाह हो सकता है ,तो कोई व्यक्ति मुसलमान होकर सुरक्षित कैसे रह सकता है .?और जब अल्लाह ही ऐसा है तो सोचिये उस अल्लाह के मानने वाले कैसे होंगे?
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