Thursday, September 12, 2013

शाकाहारी बनिए, निरोग रहिये


मनुष्य स्वभाव से ही शाकाहारी है। मानव शरीर की रचना शाकाहारी प्राणी की है , ये एक वैज्ञानिक सत्य है।

लेकिन कुछ मनुष्य दरिंदगी के साथ कुत्तो और भेडियों की तरह मांस नोच नोचकर खाने में गर्व का अनुभव करते हैं। इससे ज्यादा पाप और कुछ नही हो सकता। जैसे आपको जीने का अधिकार है वैसे ही अन्य जीवो को भी जीने का अधिकार ह

सामान्य तौर पर एक बात जानने की कोशिश करें कि जब पशु कसाई के द्वारा अपनी मौत को पास आते देखता है तो वह डर और दहशत से कांप उठता है। मौत से पहले निसहाय पशु आत्मरक्षा के लिए छटपटाता है। पुरुषार्थ बेकार होने पर उसका डर आवेश बढ़ जाता है। गुस्से से उसकी आंखे लाल हो जाती हैं, मुह से झाग आने लगता है। ऐसी अवस्था में उसके अन्दर एक हॉर्मोन एड्रेनैलिन उत्पन्न होता है जो उसके मांस को जेहरीला बना देता है। जब मनुष्य वह मांस खाता है तो उसमे भी एड्रेनैलिन प्रवेश करके उसे घातक रोगों की और धकेल देता है।

आज दुनिया भर के डॉक्टर ये चेतावनी दे रहे हैं कि मांसाहार कैंसर आदि अनेको असाध्य रोग देता है। जबकि शाकाहार सर्वोत्तम तथा संपूर्ण आहार है जोकि हमें रोगों से बचाता है।

शाकाहारी बनिए, निरोग रहिये


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